मातंगिनी हाज़रा: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अग्रणी महिला

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मातंगिनी हाज़रा: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अग्रणी महिला

 

मातंगिनी हाज़रा, जिनका जन्म 1879 में बंगाल के ढाका जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था, एक महत्वपूर्ण भारतीय क्रांतिकारी थीं जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थीं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता और अग्रणी महिला भी थीं।

 

मातंगिनी का जन्म बंगाल के ढाका जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। वह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव के स्थानीय स्कूल से प्राप्त की और बाद में ढाका में एक स्कूल में अध्ययन किया।

 

मातंगिनी हाज़रा के जीवन का आदि से ही एक स्वतंत्रता सेनानी बनने का सफर था। उन्होंने 1905 के बंगाल विभाजन के खिलाफ आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और वहां लोगों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया।

 

1906 में, मातंगिनी हाज़रा ने बंगाल में महिलाओं के लिए “महिला सशक्तिकरण समिति” की स्थापना की, जो महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने का कार्य करती थी।

 

1908 में, मातंगिनी हाज़रा को ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार कर लिया और उन्हें राजद्रोह के आरोप में जेल में डाल दिया। वहां, उन्होंने अन्य महिला कैदियों को स्वतंत्रता संग्राम के बारे में शिक्षित किया और उनके मनोबल को मज़बूत किय

 

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मातंगिनी हाज़रा को 1912 में जेल से रिहा कर दिया गया और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपना काम जारी रखा। 1916 में उन्होंने बंगाल में महिलाओं के लिए एक और संगठन, “महिला शिक्षा समिति” की स्थापना की, जो महिलाओं के शिक्षा के क्षेत्र में उनकी भूमिका को मज़बूती देने का कार्य करता था।

 

1942 में, मातंगिनी हाज़रा को एक लंबी बीमारी के बाद 63 वर्ष की आयु में हमारे बीच से छिन लिया गया। वह भारत की एक महान स्वतंत्रता सेनानी और अग्रणी महिला के रूप में याद की जाती है, जिन्होंने अपने साहसी और समर्पित संघर्ष से देश के स्वतंत्रता संग्राम को साहसी तरीके से साझा किया।

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